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Sarakti Jaye Hai Rukh Se Naqab Lyrics & Chords By Jagjit Singh
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सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है आफताब आहिस्ता आहिस्ता
जवान होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा
हया यकलख्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता
शब्-इ-फुरक़त का जागा हूँ फरिश्तों अब तो सोने दो
कभी फुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता
सवाल-इ-वस्ल पर उनको उदू का खौफ है इतना
दबे होंठों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता
हमारे और उम्हारे प्यार में बस फर्क है इतना
इधर तो जल्दी जल्दी है उधर आहिस्ता आहिस्ता
वो बेदर्दी से सर काटे अमीर और मैं कहूं उन से
हुजून आहिस्ता, आहिस्ता जनाब, आहिस्ता आहिस्ता